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संगीतमय सुंदरकांड

सुन्दरकाण्ड रामचरित मानस के सात कांडों में से एक काण्ड है. इसमें हनुमान जी द्वारा सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है. इसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गयी हैं.

सम्पूर्ण मानस में श्री राम के शौर्य और विजय की गाथा लिखी गयी है लेकिन सुन्दरकाण्ड में उनके भक्त हनुमान के बल और विजय का उल्लेख है. इसमें श्री राम के भक्त की विजय और सफलता की गाथा है ।
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है।
किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं।
माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, इसमें हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं,सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के लिय सुंदरकाण्ड सबसे उचित उपाय के रूप में बताए गए हैं।
एसे मंगलकारी ओर कल्याणकारी सुंदरकाण्ड का प्रचार हिमांशु भाई 15 वर्ष की आयु से करते हुए लाखों हनुमानजी महाराज के भक्तों के यहाँ कर रहे है ।

माता की चौकी

माता की चोकी में उनके भक्तों द्वारा उन्हें रिझाने के लिए उनके भक्तों द्वारा भजन से माँ भगवती की आराधना की जाती है यह माता की चोकी 4 गंटे चलती है । समय आयोजक की योग्यता अनुसार तय किया जाता है । माता का भव्य दरबार सजाया जाता है । भव्य माता की चोकी संगीत के साथ चलती है ।

माता का जागरण

माताजी की जागरण देवी जगतजन्नी माँ कीं कृपा से ही प्राप्त होता है ।
माता का जागरण पूरी रात्रि चलता है जिसे देवी माँ की कृपा से रात्रि में 10 बजे शुरू किया जाता है ओर सुबह 5 बजे तक किया जाता है । पूरी रात्रि माता रानी की रात जगाई जाती है जिसमें देवी माता के भजनो से उन्हें मनाया जाता है । इसमें मातारानी का भव्य दरबार सजाया जाता है उनकी आराधना की जाती है । ओर तारा रानी की कथा के बाद ही जागरण को पूर्ण करने का विधान है ।

कीर्तन

कहते है हृदय को सदेव हरी शरण में लगाये रखना चाहिये ओर हृदय में अगर करुणामई बरसाने वाली राधा रानी ओर प्रेममय श्याम का कीर्तन सुना हो कराया हो तो हृदय पवित्र ओर जीवन धन्य हो जाता है । सोभाग्या होता है उनका जिन्हें ईश्वर अपनी सेवा का कीर्तन का भार देते है । उन्ही हारे के सहारे बाबा ख़ाटु नरेश का कीर्तन ओर प्रेममय श्याम ओर करुणामय किशोरीजी सरकार बरसाने वाली राधा रानी का कीर्तन सार्थक परिवार के संस्थापक कथा व्यास श्री हिमांशु शर्मा जी के द्वारा अनेक श्याम भक्त आपने स्थान पर कई वर्षों से करवाते हुए आ रहे है ।

 श्री राम कथा

श्री राम कथा 9 दिवसीय श्री मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ओर माता जानकी की पावन ओर पवित्र कथा है । महाराज पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा रचित श्री राम कथा का लाखों राम भगतों को रसपान कराया जाता है । श्री राम कथा में राम भक्तों को राजा राम सरकार के जीवन से सिख लेकर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है । महाराज तुलसीदास द्वारा रचित ।। श्रीरामचरितमानस ।। का पूर्ण प्रकाश श्री राम कथा में भक्तों को दिया जाता है । श्री राम जी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेकर जीवन जीना सिखाती है राम कथा । हर मार्ग पर सत्कर्म करना सिखाती है राम कथा । प्रेम भाव से जीवन जीना सिखाती है राम कथा । सत्य, प्रेम ओर करुणा के मार्ग पर चलना सिखाती है राम कथा । जीवन में सही राह दिखती है राम कथा । आदर भाव ओर सत्कार सिखाती है राम कथा। यही मंगलकारी ओर कल्याणकारी पवित्र ओर पावन ।। श्री राम कथा ।। हमारे कथा व्यास श्री हिमांशु शर्मा जी आपने बाल समय से करते हुए लाखों राम भगतों को इस कथा को सुना रखे है ।

 श्रीमद् भागवत कथा

आज हमारा जीवन बहुत ही व्यस्त हो गया है। ऐसा नहीं की पहले के लोगो का जीवन व्यस्त पूर्ण नहीं था। उनके जीवन में व्यस्तता होने के साथ ही धैर्य, संतोष भी था। समय बदलता गया और हमारी जरूरते भी बदलती गयी। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता परिवर्तन ही नियति का नियम है। आज हम जीवन जीने का ढंग भूलते जा रहे है। श्रीमद् भागवत(shrimad Bhagwat) हमें सही जीवन जीने का ढंग सिखाती है।

श्रीमद् भागवत में इसका बहुत ही अच्छा प्रमाण मिलता है और सिख भी की। प्रेम सृष्टि का आधार है और स्वार्थ इंसान को विनाश की तरफ ले जाता है।
केवल श्वास लेना ही जीवन नहीं है कर्तव्यपूर्ण कर्म में ही जीवन है। श्रीमद् भागवत हमें बार बार मरने से बचाती है जब तक हमें जीवन का परम लक्ष्य नहीं समझ आता जो सच्चिदानन्द पूर्ण परमात्मा है। तब तक बार बार हमें जन्म लेना पड़ेगा।
श्रीमद् भागवत में से आपको शिक्षा मिलती है जब साथ छोड़ देते है जब आप अपना सब कुछ उस पूर्ण परमात्मा पर छोड़ देते है। तब श्री कृष्णा आपके कष्टों का पहाड़ उठा लेते है और आपकी रक्षा करते है।
श्रीमद् भागवत में आपके सभी प्रश्नों का जवाब है। बस वो नज़र वो समझ होनी चाहिए जो उसे समझ सके। जो उनकी कृपा से ही संभव है

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